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Ghar-घर - home

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घर है एक बसेरा  जहां सुकून डालता है डेरा    हिल मिल कर रहते है सब हर ले जो मन की पीड़ा  दस्तक देता है रोज  आशान्वित सवेरा  मुस्कान देता है हर चहेरा गूंजती है जब बच्चों की किलकारी घर का कोना लगता है प्यारा प्यारा ले के गोद में  नन्हो को  बन जाता है हरेक मतवाला आते है उत्सव और त्यौहार खुशियों की  होती है बौछार बनते है मीठे मीठे पकवान मिठास डालती है जुबां पे डेरा सारे जहां में घूम के मीटे जहां थकान स्वागत को रहे जो सदा खड़ा वो है बस घर मेरा।       - नरेन्द्र सिंह राठौड़