Aatm Kalyan–आत्म कल्याण

:–आत्म कल्याण –: ************** आत्म कल्याण हेतु शीघ्र दे अपने दुर्गुणों की बलि मत कर चित्त में पोषित पुरुष दुर्योधा कलि जो मचाएगा चहुं दिशाओं में ख़लबली भूल जाएंगे सर्व जन सज्जनों की गली अभी नहीं हुई देर कर चित्त से कलि पुरुष को ढेर ज्ञान की लौ जगा निज चित में रास्ता दिख जाएगा स्वतः ही ब्रह्म प्रकाश का तेरे मन – मस्तिष्क के बिंब में। मौलिक रचयिता:– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)