Sanatan Ke Sath Sath :सनातन के साथ – साथ

:–: सनातन के साथ –साथ :–: ************************* सनातन में होते नहीं तेरे–मेरे साथ–साथ , सात–सात, जन्मों तक साथ निभाने के लिए अग्नि को साक्षी मानकर खाए जाते हैं फेरे फिर थोड़े से मनमुटाव में क्यों जाएं न्यायालय के द्वारे पैदा कर दरार रिश्ते कर दिए सारे खारे सनातन से हो सकता है केवल उसी का लगाव जो पसंद नहीं करता कभी अलगाव। मौलिक रचयिता:– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)