Vinti –विनती

:–: विनती:–: ****** विनती सुनिए जगत हमारी शरणागत है सकल मनोरथ मेरी और क्या कहूं तू है बड़ा शक्तिशाली मैं तो हूं बस प्रकृति की देखरेख करने वाला माली तेरे समक्ष खड़ा है लिए झोली खाली डाल सके तो डाल दे तेरी समस्त सुरक्षित प्रकृति सारी तेरे समक्ष बन के कृतज्ञ दिन रात बजाऊंगा ताली पे ताली। मौलिक रचयिता:– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)