Kyon bana tu barud? क्यों बना तू बारूद?

क्यों बना तू बारूद? रखा मां ने तुझे कोख में होगा बड़ा तो रखेगा उसे मौज में नहीं देखा था सपना भर्ती हो जाएगा जिहादियों की फौज में बन कर फिदायीन निकलेगा तू बांधकर बारूद लेकर जान देकर जान क्यों डूबों रहा मां को आंसुओं में ? सोच रहा है तू काम कर रहा है धांसू मगर आज तो खुदा की आंख से भी बह रहे अनवरत आंसू खुदा के लिए बारूदी चोला फेंक अम्मीजान अब्बुजान फरियाद कर रहे घुटने टेक होगा खुश खुदा जब बारूद से नहीं करेगा किसी की भी जान को जुदा बारूद की भी इल्तजा है यही बन वो दियासलाई जिसकी सहायता से जले चूल्हा चढ़े कढ़ाई कोई खाए बना कर हलवा कोई खाए बना कर रस मलाई होकर बारूद जीने की सीख सिखाई ना कर खुदा की खुदाई के साथ बेवफाई रुखसत हो जहां से कभी लेकर जाना निज चहरे पे मुस्कान ना की रूलाई तभी होगी तेरी जहां में वाही ! वाही ! – नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)