Vartamaan–वर्तमान

:–: वर्तमान:–: *************** " तुम्हारा चित्त भूत में जा सकता है भविष्य में जाना तो असंभव है जिस भविष्य की कल्पना कर रहे हो वो तो वर्तमान में घटित हो रहा है, स्वयं को धोखा दे रहे हो या वर्तमान को फिर चिंता किस बात की, क्या तुम अपनी श्वासों को भूत या भविष्य में ले जा सकते हो?नहीं, तो वर्तमान में प्रसन्न रहो।" मौलिक रचयिता:– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)