Manva pyar karta chal -मनवा प्यार करता चल

मनवा प्यार करता चल बीते ना गमों में किसी का पल दिलों से दूरियां मिटाता चल मनवा प्यार करता चल। भूखे को खाना ,प्यासे को पानी और नंगे को कपड़ा बांटता चल मनवा प्यार करता चल। याद आए चुट्कुले कोई सुनाकर सबको हंसाता चल मनवा प्यार करता चल। बीमार मिले कोई मदद करता चल अंधकार को प्रकाश की लौ से मिटाता चल मनवा प्यार करता चल। प्राणवायु की कमी पड़े ना कभी आने वाली पीढ़ियों को वृक्षों की सौगात देता चल मनवा प्यार करता चल। वृक्षों के झुरमुट से बदली को बरसने के लिए मजबूर करता चल मनवा प्यार करता चल। हो जाए भरपूर अन्न और किसान हो जाए प्रसन्न मनवा प्यार करता चल। - नरेन्द्र सिंह राठौड़