Mat Ho Man Mere Udas–मत हो मन मेरे उदास

मत हो मन मेरे उदास जीने की ललक बन के चिंगारी है तेरे आस पास कोई नहीं तेरा खास तो क्या? तू बन जा अपना खासम खास मत हो मन मेरे उदास बाधाएं बाधा नहीं तू ठान ले जब तेरी इनके समक्ष हार नहीं बन के हम राही पार कर संसार का जंगल होगा तेरे हाथों तेरा मंगल ही मंगल भर उड़ान भले ही मौसम बने व्यवधान भीतर लगी आग को हवा लगने दे जिनको मान बैठा अपनी कमजोरियां उन्हें आज स्वाह होने दे शेष रहेगा प्रकाश किलकारी भरेगी फिर से जीने की आस होगा इर्द गिर्द निज प्रेम का वास देख राही ऊपर की ओर छोड़ चल पलायनवाद का छोर तेरे स्वागत में छा गई चहुं दिशाओं में घटाएं घनघोर हो रही बारिश मूसलाधार आज तन मन से नहा कर खुशियों से भर ले निज संसार आयेगा नहीं हार का विचार तेरे साथ खड़े होंगे वृक्ष देवदार सारा संसार बनायेगा तुझे अपना मेहमान थाली में होंगे स्वादिष्ट पकवान खाकर जिसे होगा तू बलवान मन तेरा उतरेगा अखाड़े में बन के पहलवान बढ़ेगा तेरा संसार में मान मिलेगी तुझे खुशियों की खान देगा तू संसार को पैगाम जो हार कर नही...