Aalokit Hriday –आलोकित हृदय

:– आलोकित हृदय–: ************** जो अविरल नैतिकता को बनाए अपना गणवेश उसी भद्र जन की काया में आध्यात्मिकता का होता है प्रवेश फिर कुछ नहीं रहता है उसके पास शेष शून्य से आलोकित हृदय में विराजमान होते हैं ब्रह्म, विष्णु और महेश। मौलिक रचयिता:–नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)