Main Bhagat Singh मैं भगत सिंह

मैं भगत सिंह फैंका कचहरी में अहिंसक बम जानकर मौत है इसका परिणाम लाएगी सारे भारत में इन्कलाब काटी मैंने मौत से पहले जो रातें उनमें देखा सारे हिंदुस्तान को आजादी के गीत गाते वतन के लिए जां निसार हो चाहे कुदरती या फैंदे को सहती हूं नही मैं अमर इसी सोच को बना आधार सुखदेव राजगुरु के संग फंदे को किया चूम कर स्वीकार लगा फंदा जब गले आरजू थी दिल में यही सम्पूर्ण भारत में इन्कलाब का जुलूस निकले मिले आजादी भारत ना सहेगा अब गुलामी चहुं दिशाओं में बजेगा आजादी के दीवानों का डंका जलेगी आज फिरंगियों की लंका बहुत हुआ जुल्मों सितम गूंजेगा गीत हर गली हर नुक्कड़ वन्दे मातरम् !वन्दे मातरम् ! इसी बात को लेकर राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह ने मौत को गले लगाने की खाई थी कसम ताकि अखंड रहे मेरा भारत हर क्षण हर दम रहेगा अब सदा आबाद बसा कर दिल में हर कोई इन्कलाब जिंदाबाद ! :– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत )