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Dhadak- धड़क- Heart beating of soldier

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धड़क धड़क  धड़क   धड़क रही है धड़कन  चाहे जमाना डाले  लाख अड़चन निभानी है तुझे मेरे फौजी! कोख की लाज निभाने है प्रियतमा को दिए  सातों वचन  मुश्किल में है आज तेरा वतन। आस्तीन के सांप लगा रहे हैं अमन में अग्न घुल रहा है हवा में जहर धुंधला धुंधला सा हो गया है हर घर का दर्पण। बीड़ा उठाना होगा तुझे मेरे फौजी! चाहे करना पड़े तन मन समर्पण फीके ना हो हर घर में व्यंजन करना होगा तुझे जिंदगानी के अनमोल क्षणों का अर्पण। लगा ना पाएं दुश्मन कोई वतन की खुशियों में ग्रहण करना होगा अपने साहस से हर बाधा का हरण चाहे  देखना पड़े मरण। धड़क धड़क धड़क धड़क रही है धड़कन निभानी है तुझे मेरे फौजी! कोख की लाज निभाने है प्रियतमा को दिए सातों वचन मुश्किल में है आज तेरा वतन।   :- नरेन्द्र सिंह राठौड़