Dharti se chori ho gya insan– धरती से चोरी हो गया इंसान–The Theft of human from Earth 🌎!

धरती से चोरी हो गया इंसान दया, क्षमा और करुणा थी जिसकी पहचान धरती का था वो वरदान दौड़ पड़ता था पीड़ित की सुन करुण पुकार बातों में जिसके बरसता था प्यार लेकिन लेकर अब मन में नफरती सोच हजार मिटाने को आतुर है मोहब्बत से भरा संसार कभी एक दूजे के संग मनाते थे उत्सव और त्यौहार अब डालने लगा है उनमें विघ्न हजार कर रहा है चहुं दिशाओं में नफरती सोच का प्रचार–प्रसार रखना होगा सर्वधर्म समभाव बार – बार हर बार पैदा ना हो पाएं क्षण भर आपसी सौहार्द में कोई दरार धरती से चोरी हो गया इंसान नजर आते है अब सब प्राणी लाचार कभी था सुनहरा सारा संसार जिसमे अठखेलियां मारा करता था प्रकृति संग इंसान हे जगत के पालनहारे! धरती को दो ! खोजकर ,"फिर वही इंसान " दया, क्षमा और करुणा थी जिसकी पहचान ।। :– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)