Posts

Showing posts from September, 2022

Sheesh! शीश

Image
मैं  सबला जिसके  पिता हाड़ा  उनका मान कम न होने देगी ये क्षत्राणी बाला  आज भेजूंगी राव चूड़ा को भवानी का तेज  देख कर कर देंगे मुगलों को निस्तेज । आज मांगे है चूड़ा सेनानी सिर काट दे दियो क्षत्राणी देखेंगे जब अमर सेनानी  भरतार टूट  पड़ेंगे मुगलों का करने संहार । देख  अमर सेनानी  राव चूड़ा ने भरी हुंकार  दुश्मन को  दिया फाड़ हुई शिकस्त मेवाड़ के हाथों मुगलों की, बार बार हर बार । औरंगजेब गया हरम में रोने लगा मुंह फाड़ – फाड़  बेगमों ने पूछा," क्या हुआ हुजूर ए आला !" बोला औरंगजेब , "मेवाड़ का हर सुरमा है मतवाला  उन्होंने  मुगलिया सेना को चीर डाला  जब तक रहेगा मेवाड़  गूंजती रहेगी हिंदुआ सूरज की आन बान और शान।    :– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

Ye kar ye na kar !ये कर ये ना कर!

Image
ये कर ये ना कर कहता मन हर किसी से जरूर है जिस की तलाश में भटक रहा है  तेरा मन  उसे राह दिखाने वाला और कोई नही  परमात्मा होकर खड़े देने को आशीर्वाद अपना भरपूर है। जहां में भरी है उलझनें ही उलझनें जिंदगानी का गणितज्ञ बनकर हल करता जरूर है  इन्सान बना कर भेजा तुझे  इंसान बन कर ना रह सका तो दोष औरों पर मत डालना ये कर ये ना कर जो  कहता रहता तुझे सदा  उन परमात्मा से तू दूर है । कर आज बन के गोपी अपने ही संग रास परमात्मा को खड़ा पाएगा सदा अपने आस पास  जो करता है घट घट में निवास  देने को पैगाम " ये कर ये ना कर "  रख मुझ पे  अडिग विश्वास  होगा नहीं कभी तू बुराइयों का दास। नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

Kyon bana tu barud? क्यों बना तू बारूद?

Image
क्यों बना तू बारूद? रखा मां ने तुझे कोख में होगा बड़ा तो रखेगा उसे मौज में  नहीं देखा था सपना  भर्ती हो जाएगा जिहादियों की फौज में  बन कर फिदायीन निकलेगा तू  बांधकर बारूद  लेकर जान देकर जान  क्यों डूबों रहा मां को आंसुओं में ? सोच रहा है तू काम कर रहा है  धांसू  मगर आज तो  खुदा की आंख से भी बह रहे  अनवरत आंसू   खुदा के लिए  बारूदी चोला  फेंक  अम्मीजान अब्बुजान फरियाद कर रहे घुटने  टेक  होगा खुश खुदा  जब बारूद से नहीं करेगा  किसी की भी जान को जुदा  बारूद की भी इल्तजा है यही  बन वो दियासलाई जिसकी सहायता से जले चूल्हा  चढ़े कढ़ाई  कोई खाए बना कर हलवा  कोई खाए  बना कर रस मलाई होकर बारूद जीने की सीख सिखाई  ना कर खुदा की खुदाई के साथ बेवफाई  रुखसत हो जहां से कभी  लेकर जाना निज चहरे पे मुस्कान  ना की रूलाई तभी होगी तेरी जहां में वाही ! वाही ! – नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)