Ye kar ye na kar !ये कर ये ना कर!

ये कर ये ना कर

कहता मन हर किसी से जरूर है

जिस की तलाश में भटक रहा है  तेरा मन 

उसे राह दिखाने वाला और कोई नही 

परमात्मा होकर खड़े देने को आशीर्वाद अपना भरपूर है।


जहां में भरी है उलझनें ही उलझनें

जिंदगानी का गणितज्ञ बनकर हल करता जरूर है 

इन्सान बना कर भेजा तुझे 

इंसान बन कर ना रह सका तो

दोष औरों पर मत डालना

ये कर ये ना कर

जो  कहता रहता तुझे सदा 

उन परमात्मा से तू दूर है ।


कर आज बन के गोपी अपने ही संग रास

परमात्मा को खड़ा पाएगा सदा अपने आस पास 

जो करता है घट घट में निवास

 देने को पैगाम " ये कर ये ना कर " 

रख मुझ पे  अडिग विश्वास 

होगा नहीं कभी तू बुराइयों का दास।

नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)








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