Mauj - मौज
मैं मौज का मजा दिन रात लेता हूं
जिंदगी को बनाकर बिछौना
मौत को चादर बनाकर
स्वप्न सुंदर देखता हूं
मौत के साथ खो –खो
और
जिंदगी के साथ कबड्डी
रोज खेलता हूं
जो डालेगी गले में हार मेरे
उसके संग दौड़कर जाऊंगा
सौगंध मैं खाता हूं
वचन के खातिर जीता हूं
और मरता हूं
शाश्वत क्रीड़ा के संग
उल्लास का उत्सव मनाता हूँ।
:– नरेन्द्र सिंह राठौड़
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