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Jaan se pyari jaan hamari hai–जान से प्यारी जान हमारी है

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जान से प्यारी जान हमारी है देख देख के जिनको दिल की बगियां में उड़ जाती तितलियां सारी हैं  इश्क में हमने बाजी मारी है जान से प्यारी जान हमारी है  ठुमक ठुमक के चलती है कायनात हिल जाती है देख देख के जिनको स्वर्ग की अप्सराएं इठलाती हैं  जान से प्यारी जान हमारी है  इश्क में डूबकर अश्क गिराती है दिल के बीच में दरिया बहाती है आ आ कर अप्सराएं श्रृंगार कराती है स्वर्ग से ला ला कर उबटन लगाती है जान से प्यारी जान हमारी है  जान को लेने जा रही बारात हमारी है बैंड बाजे के आगे नाच रही दुनियां सारी है लाल रंग के लहंगे में लग रही प्रियतमा प्यारी है हाथों में रची महंदी बड़ी न्यारी है जान से प्यारी जान हमारी है जान से प्यारी जान हमारी है  देख देख के जिनको दिल की बगियां में उड़ जाती तितलियां सारी हैं जान से प्यारी जान हमारी है  हाँ जान हमारी है। :– नरेन्द्र सिंह राठौड़ 

Mera Ghar Hai Sara Jahan मेरा घर है सारा जहां

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मेरा घर है सारा जहां  मैं परिंदा हूं इंसान नहीं  मुझे चाहिए दाना , पानी और हवा भरते है हम स्वछंद उड़ान नहीं उठता जहा बारूद का धुआं  नहीं होती है  हमारे यहां  नफरत की खाई  जो किया करती सीमाओं में बांध कर मनमुटाव की कमाई  हम तो किया करते हैं  प्रेम सगाई जिसके अंदर सारे जहां की खुशियां  सदा रहती हैं समाई  छोड़ चोला आदमी का बन जा तू भी परिंदा होना नहीं पड़ेगा तुझे कदाचित  आने वाली पीढ़ियों के समक्ष शर्मिंदा अगर नही उड़ाएगा सीमाओं में बंधने के लिए एक – दूझे पे बारूद का गर्दा मनुज होकर अगर शांति से नहीं पले  तो प्रकृति को  क्यों करता है प्रदूषित  कहला कर बुद्धिमान प्राणी रह कर नील गगन के तले हाथ क्यों है तेरे  निर्दोषों के खून से सने  मन में बसा रखा है तूने चहुं दिशाओं में अंधेरे घने बन जा तू भी शांत परिंदा  उड़ान भर सीमाओं से परे।   :– नरेन्द्र सिंह राठौड़