Gam ke badal chhant janyenge -गम के बादल छंट जाएंगे

गम के बादल छंट जाएंगे
आशा की किरण दस्तक देगी
तुझे पढ़ना होगा 

आज ज़माना अपना नहीं है तो क्या
कल तेरा  अपना मुकाम होगा
तुझे पढ़ना होगा

जो करे मेहनत 
उसे कभी ना
हारते देखा
हर दिन मने दिवाली
इस खातिर
ज्ञान का दीपक
जलाए रखना होगा
तुझे पढ़ना होगा

आंच ना लगा पाए कोई
अपना दामन बचाना होगा
तुझे पढ़ना होगा

आज है हर कोई बेगाना तो क्या
समेट कर अपने दर्द को
आगे बढ़ना होगा
कलम की स्याही से
अपना नसीब  खुद लिखना होगा
तुझे पढ़ना होगा।

- नरेन्द्र सिंह राठौड़

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