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Are mere pyare ! अरे मेरे प्यारे ! - Oh my dear

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अरे मेरे प्यारे ! बना के मन को अपना मीत     सुना ज़रा उसे प्यारा संगीत भूलाने को गमगीन बात बिछड़े ना सुनहरी याद बढ़ जरा आगे  देने खुदी का साथ चल मेरे साथी डग भर भर मिटाता चल मायूसियों को हर दर हर पल रख चींटी सा आत्म बल गिर गिर के पा लेती है मंज़िल इक पल आखिर तू है इक इंसान  ब्रह्माण्ड की सर्वश्रेष्ठ कृति में है तेरा स्थान फ़िर क्यूं रहे परेशान  लेगा जब तू ठान हरा के परेशानियों को बन जाएगा महान वतन करेगा तुझ पे अभिमान।   - नरेंद्र सिंह राठौड़

Lauta de mera bachpan a rab ! लौटा दे मेरा बचपन, ए रब ! - Childhood

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लौटा दे मेरा बचपन , ए रब !    मिट्टी का घरौंदा बनाऊं और मिटाऊं मार कर ठोकर जब तब दुश्मन नहीं होता कोई खेलते है डालकर गलबहियां सब।  लौटा दे मेरा बचपन , ए रब ! मन के होते थे राजा बजाते थे घर में आए मेहमानों का  बैंड बाजा बदल कर टीवी चैनल कार्टून चैनल मेरी मर्जी से लगाता। लौटा दे मेरा बचपन , ए रब ! ड्यूटी से जब आते पापा खोलता नहीं घर का दरवाजा जाओ दुकान पे लेकर  आओ ! मक्खन बड़े और रसगुल्ले पाओगे तभी मॉम संग मुझे मुख मेरा बिना फूले। लौटा दे मेरा बचपन , ए रब ! होती जब गर्मी खाते थे बर्फ के गोले झूले में झूलकर लेते थे  हिचकोले। लौटा दे मेरा बचपन , ए रब ! होती जब सर्दी खाते थे दूध संग जलेबियां मॉम बनाती थी पकोड़े धनिए की चटनी संग मुख में रखते  होले होले। लौटा दे मेरा बचपन , ए रब ! होती जब बारिश पानी में  तैराते कागज की  किश्तियां रेस में आगे जाने पर उछल उछल बजाता तालियां खाते सब भुट्टे लगाकर होड़ एक दाना भी पीछे ना छूटे। लौटा दे मेरा बचपन , ए रब ! मिटा के मनों की दूरियां एक दूजे के करीब रहे सब। - नरेन्...

Main chala dhundhne ek priya jan-मैं चला ढूंढने इक प्रिय जान

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मैं चला ढूंढने इक प्रिय जान  जिस पर ना किसी  का दवाब हो    भरे जब उड़ान आसमां में बिखर जाए कदमों के निशान। जिसमें हो संवेदनाओं का उफान जो लपक पड़े दूर क्षितिज से बचाने हर प्राणी की जान। जो पनाह देने में समझे अपनी शान हृदय से गुंजित होते हो हरदम मोहब्बत के गान। रुख से जिसके पलट जाए तबाही के बाण रखता हो सबका मान। जिसकी नज़र में हर प्राणी रखता हो उससे आत्मिक पहचान ताकि नमस्ते 🙏🏿कर के अपना बन जाए हर अनजान। दिखता है जिसे कण कण में भगवान कहलाए वो अदब इन्सान। शुक्रिया -ए- रब ! मैं चला ढूंढने इक प्रिय जान वो ही तो है इक अदब इन्सान।।  - नरेन्द्र सिंह राठौड़

Wo bharat desh hai mera-वो भारत देश है मेरा - My great India

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वो भारत देश है मेरा  जो रखे कदम इस धरा  कभी महसूस ना करे अकेला रहता है द्वार जिसका अतिथि के स्वागत को सदा खुला नज़र आता है सदा जहां आत्मा में परमात्मा वो भारत देश है मेरा।  मिटा दे दूरियों को    बाहें पसारा दे जो पैगाम इंसानियत का रहता है सदा उसके साथ खड़ा  वो भारत देश है मेरा। मिटाने आतंकवाद को बजाए जो बिगुल तगड़ा ताकि ना रहे इंसान का इन्सान के साथ झगड़ा  सलामत रहे भाईचारा पैग़ाम है हमारा वो भारत देश है मेरा। जो करता नहीं कभी प्यार के पैगाम से किनारा पंछी आ के साइबेरिया से डाले  जहां अपना डेरा वो भारत देश है मेरा। - नरेन्द्र सिंह राठौड़

Pyar karte hai sanam tum se itna-प्यार करते है सनम तुमसे इतना

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प्यार करते है सनम तुमसे इतना    चांद से चकोर करे जितना। देखता हूं जब आइना तेरे सिवा कुछ नज़र आए ना। उठते बैठते खाते पीते तू ही तू नजर आए हलक में कुछ  उतर ना पाएं। मैं बंदा था सीधा सादा तेरे प्यार में हो गया आधा। मेरे डैड करते है मुझ पे हाका कहते है छौरे पे प्यार ने मार लिया डाका आ के सनम ! घर संभाल मेरा नहीं तो हरिद्वार में लगा लूंगा डेरा। प्यार करते है सनम तुमसे इतना चांद से चकोर करे जितना। कभी खुशी कभी गम एक दूजे का साथ निभाएंगे हम। इंतजार में तेरा सनम आकर हर ले सारे मेरे तम। - नरेन्द्र सिंह राठौड़

Jivan me bhara hai har rang-जीवन में भरा है हर रंग-The colour of life

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जीवन में भरा है हर रंग बसी है उसमे उमंग बेताब है हर कोई खेलने को होली इक दूजे के संग।  आओ मिटा दें दूरियां दिलों की झूमे खुशी में इतना बजा कर चंग और मृदंग लगा कर गालों पे गुलाल मिटा दे जो मन की मलाल कर दे जो एक सबको आए जब होली का त्यौहार। होली में लगते है रंग हजार दूर हो जाए अंधकार करें जो चहुं दिशाओं में प्रकाश का प्रसार। होली में नहीं होगा भंग लगाएंगे जब प्राकृतिक रंग आयेगा हर कोई करीब भीगने को तुम्हारे संग। डोल रहा हर्षित तन और मन बन रहे मीठे मीठे व्यंजन खेल रहे बच्चे ले के रंगभरी गन लगी जब उनको होली खेलने की लगन। है ये होली का त्यौहार करता है जो खुशियों की बौछार बन गया स्वर्ग सारा जहां बढ़ा जब हर कहीं भाईचारा बस भाईचारा।  - नरेन्द्र सिंह राठौड़

Pyar hai mera humsafar-प्यार है मेरा हमसफ़र - Defination of love

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प्यार नहीं है आकर्षण   है ये पूर्ण समर्पण करता है जो प्यार मन में नहीं रखता भार। प्यार में रहता है जो सदा जगा वहां नहीं होता बीच में पंगा होती नहीं कभी तंगी विश्वास में बंधे होते है संगी। प्यार नहीं है कोई खेल है ये सात वचनों का मैल जो इनको निभाने में नहीं करता देर रब करता है उन पर मैर। प्यार में होती है कभी तू तू मैं मैं हो जाती है उनकी समस्या शीघ्र हल जो चाय की चुस्की पर करते है एक दूसरे के संग गल। प्यार आस्था है प्यार है पूजा इस से बड़ा कोई रहनुमा नहीं दूजा जो ना रखे प्यार  में भरम उनके दरमिया माहौल रहता नरम। - नरेन्द्र सिंह राठौड़