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Sheesh! शीश

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मैं  सबला जिसके  पिता हाड़ा  उनका मान कम न होने देगी ये क्षत्राणी बाला  आज भेजूंगी राव चूड़ा को भवानी का तेज  देख कर कर देंगे मुगलों को निस्तेज । आज मांगे है चूड़ा सेनानी सिर काट दे दियो क्षत्राणी देखेंगे जब अमर सेनानी  भरतार टूट  पड़ेंगे मुगलों का करने संहार । देख  अमर सेनानी  राव चूड़ा ने भरी हुंकार  दुश्मन को  दिया फाड़ हुई शिकस्त मेवाड़ के हाथों मुगलों की, बार बार हर बार । औरंगजेब गया हरम में रोने लगा मुंह फाड़ – फाड़  बेगमों ने पूछा," क्या हुआ हुजूर ए आला !" बोला औरंगजेब , "मेवाड़ का हर सुरमा है मतवाला  उन्होंने  मुगलिया सेना को चीर डाला  जब तक रहेगा मेवाड़  गूंजती रहेगी हिंदुआ सूरज की आन बान और शान।    :– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

Ye kar ye na kar !ये कर ये ना कर!

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ये कर ये ना कर कहता मन हर किसी से जरूर है जिस की तलाश में भटक रहा है  तेरा मन  उसे राह दिखाने वाला और कोई नही  परमात्मा होकर खड़े देने को आशीर्वाद अपना भरपूर है। जहां में भरी है उलझनें ही उलझनें जिंदगानी का गणितज्ञ बनकर हल करता जरूर है  इन्सान बना कर भेजा तुझे  इंसान बन कर ना रह सका तो दोष औरों पर मत डालना ये कर ये ना कर जो  कहता रहता तुझे सदा  उन परमात्मा से तू दूर है । कर आज बन के गोपी अपने ही संग रास परमात्मा को खड़ा पाएगा सदा अपने आस पास  जो करता है घट घट में निवास  देने को पैगाम " ये कर ये ना कर "  रख मुझ पे  अडिग विश्वास  होगा नहीं कभी तू बुराइयों का दास। नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

Kyon bana tu barud? क्यों बना तू बारूद?

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क्यों बना तू बारूद? रखा मां ने तुझे कोख में होगा बड़ा तो रखेगा उसे मौज में  नहीं देखा था सपना  भर्ती हो जाएगा जिहादियों की फौज में  बन कर फिदायीन निकलेगा तू  बांधकर बारूद  लेकर जान देकर जान  क्यों डूबों रहा मां को आंसुओं में ? सोच रहा है तू काम कर रहा है  धांसू  मगर आज तो  खुदा की आंख से भी बह रहे  अनवरत आंसू   खुदा के लिए  बारूदी चोला  फेंक  अम्मीजान अब्बुजान फरियाद कर रहे घुटने  टेक  होगा खुश खुदा  जब बारूद से नहीं करेगा  किसी की भी जान को जुदा  बारूद की भी इल्तजा है यही  बन वो दियासलाई जिसकी सहायता से जले चूल्हा  चढ़े कढ़ाई  कोई खाए बना कर हलवा  कोई खाए  बना कर रस मलाई होकर बारूद जीने की सीख सिखाई  ना कर खुदा की खुदाई के साथ बेवफाई  रुखसत हो जहां से कभी  लेकर जाना निज चहरे पे मुस्कान  ना की रूलाई तभी होगी तेरी जहां में वाही ! वाही ! – नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

Sanwariya se kar le tu het सांवरिया से कर ले तू हेत Love to lord Krishna

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सांवरिया से कर ले तू  हेत  उपजाऊ हो जाएगा तेरे मन का खेत  जिसमे से पैदा होगे संतोष के फल  तेरी भव बाधा जाएगी टल।  कोई नहीं करेगा जब एक दूजे के संग खल  प्रेम की बांसुरी तले नाचेगा तब हर नारी हर नर उत्सव से प्रफुल्लित होगा जब हर किसी का मन  मन करेगा तब आशान्वित विचरण। चहुं  दिशाओं में पुष्प वृष्टि करेगा जब नील गगन इंसानियत का पैगाम देगा  तब मेरा वतन तेरा वतन। रौद्र दीवारें तोड़कर एक दिन होंगे एक मैं एक तुम एक दूजे की सलामती हेतु खुलेंगे  मेरे लभ तेरे लभ  करेगा हर दुआ कबूल  मेरा रब तेरा रब।। :– नरेन्द्र सिंह राठौड़

Dharti se chori ho gya insan– धरती से चोरी हो गया इंसान–The Theft of human from Earth 🌎!

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धरती से चोरी हो गया इंसान  दया, क्षमा और करुणा थी जिसकी पहचान  धरती का था वो वरदान  दौड़ पड़ता था पीड़ित की सुन करुण पुकार  बातों में जिसके बरसता था प्यार  लेकिन लेकर अब मन में नफरती सोच हजार मिटाने को आतुर है मोहब्बत से भरा संसार   कभी एक दूजे के संग मनाते थे उत्सव  और त्यौहार  अब डालने लगा है उनमें विघ्न हजार   कर रहा है चहुं दिशाओं में नफरती सोच का प्रचार–प्रसार  रखना होगा सर्वधर्म समभाव बार – बार हर बार  पैदा ना हो पाएं क्षण भर आपसी सौहार्द में कोई दरार धरती से चोरी हो गया इंसान  नजर आते है अब सब प्राणी लाचार  कभी था सुनहरा सारा संसार जिसमे अठखेलियां मारा करता था  प्रकृति संग इंसान  हे  जगत के पालनहारे! धरती को दो ! खोजकर ,"फिर वही इंसान " दया, क्षमा और  करुणा थी जिसकी पहचान ।।  :– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

Maharana Pratap ke hain hum pujari! महाराणा प्रताप के हैं हम पुजारी

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महाराणा प्रताप के हैं  हम पुजारी  कहती हैं दुनियां जिन्हे हिन्दुस्तानी चेतक का देख तीव्र वेग  अकबर के हाथी ने दिए घुटने टेक  चेतक पर सवार होकर निकले महापुरुष महान  अकबर की  सेना का तोड़ डाला सर्वस्व गुमान  दिया चेतक ने अपना बलिदान  गाथा गा रहा है जिसकी सारा हिन्दुस्तान  लिखना नया इतिहास था  महाराणा को सकुशल पहुंचाना था  हल्दी घाटी है महान  जिसकी मिट्टी  का इजरायल करता है मान  होकर प्रेरित बना रहा है जिहादियों का कब्रिस्तान  जब जब डाली दुश्मनों ने  हिंदुस्तान पर नजर  बूरी तब तब गज़वा ए हिंद के हिमातियों को  घुटने टेकने की रही मजबूरी  महाराणा प्रताप के हैं हम पुजारी कहती हैं दुनियां जिन्हें हिन्दुस्तानी। मौलिक रचयिता :– नरेन्द्र सिंह राठौड़

Baharon fool barsao बहारों फूल बरसाओ

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बहारों फूल बरसाओ सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाएंगे शमा को मतवाला भर के काजल भाभी  देवर की आंखो मे  देवरानी संग रिश्ता जोड़ेगी बड़ा प्यारा । बहारों फूल बरसाओ सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाएंगे शमा को मतवाला लेने को आशीष  दुल्हा  रब की दर चला टेक टेक शीश पाने आशीर्वाद खरा खरा। बहारों फूल बरसाओ सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाएंगे शमा को मतवाला  पहुंचा है  साजन सजनी की दहलीज पर  हुआ है आगमन  तलवार से तोरण को छूकर। बहारों फूल बरसाओ सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाएंगे शमा को मतवाला  दिया पिता ने  बिटिया  रानी का हाथ वर के साथ  लिए है  सात फेरे  कर गठबंधन जोडी बनी  जैसे हो सीता राम। बहारों फूल बरसाओ  सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाएंगे शमा को मतवाला उलझा कर दूल्हे को चुराए जूते सालियों ने  होगी विदा डोली मांग होगी पूरी तो तालियों में। बहारों फूल बरसाओ सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाए...