Chhod fauji apna pariwar -छोड़ फ़ौजी अपना परिवार सरहद पे बुलाए तेरा वतन !

छोड़ फ़ौजी 
अपना परिवार
सरहद पे बुलाए
तेरा वतन।

कोई घुषपैठियाा 
गुस ना जाए
मिटा ना दे
देश का अमन।

छोड़  फ़ौजी
अपना परिवार
सरहद पे बुलाए
तेरा वतन

भारत माता
जानती है
लाडले!
जब चीर के
निकलती है
गोली बदन से
तुझे भी  होती है
जलन

जब गिरता है
लहू बदन से
रोता है
भारत माता का
तन मन
लेकिन तेरा
अटल समर्पण
नहीं होने देता
विचलित
एक पल

छोड़ फ़ौजी
अपना परिवार
सरहद पे बुलाए
तेरा वतन

भरती है मांग
तेरी दुल्हन
कामना करती है
बनी रहे सदा
सुहागन

जब देखती दर्पण वो
याद कर कर के
रोता है
उसका तन मन

फरियाद करती है
रब से सदा
कब छुट्टी पे आयेगा
उसका साजन

त्यौंहार मनाएगा इस बार
उसके संग
मगर तभी
बुलावा आया है
सरहद से
मुश्किल में है
अपना वतन

छोड़ फ़ौजी
अपना परिवार
सरहद पे बुलाए
तेरा वतन।

भारत माता
जानती है उसका
लाडला मनाए
हैपी न्यू ईयर ।

मगर तभी
दुश्मन की लगती है
बुरी नजर

छुट्टी छोड़
निकल पड़ता है
भारत माता का
जांबाज़ पुत्र
सरहद पर
क्योंकि कहती है
सरहद

छोड़ फ़ौजी
अपना परिवार
सरहद पे बुलाए
तेरा वतन ।

-नरेन्द्र सिंह राठौड़

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