Kisan ka jeevan geet -किसान का जीवन गीत

आने को है मौसम बोने को 
किसान की रूह खिल उठती है
और निकल पड़ता है खेत में वो
कुली से खरपतवार को मिटाने ।  

तत्पश्चात
उमड़ घुमड़ आए बादल बरसने लगे
खेत मिले सजे धज्जे 
हुई खेत में भरपूर नमी
किसान ने बीज बोने की ठानी
निकल पड़ा लिए हल
रखी दूरी इतनी
विकसित हो सके फल

नमी को लेकर अंकुरित हुए बीज
बचपन कों छोड़ हुए किशोर
फिर खरपतवार ने हमला किया
किसान का हृदय रोया
लिए कुदाल कंधे पे खेत की ओर
दौड़ पड़ा

एक एक खरपतवार को खेत से बाहर
निकाल डाला

अब किसान देखने लगा तकती निगाहों से
इन्द्र की ओर और पुकार करने लगा

सुन किसान की करुण पुकार
खेत पे काली घटाओं ने घेरा डाला
पानी बरसने लगा झम झम
किसान का मन मयूर करने लगा छम छम

तत्पश्चात पौधे प्राप्त यौवन को
बालियों ने घेरा डाला
यकायक किसान कह उठा
खूब होगा जमाना

पक्की फसल काटा किसान
पैदावार हुई भरपूर
किसान ने नहीं की प्रभु की चौखट पर
जाने में देर

कहा ," पहला भोग आपका
                           फिर मेरे परिवार का।"

-नरेन्द्र सिंह राठौड़

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