Babul ka dwar -बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी साजन द्वार चली

बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी 
साजन द्वार चली
बड़ी नाजों से पली लाडो को रह ना कोई कमी। 

ससुराल में मिले प्यार इतना
पीहर की याद कभी खले ना
रखें वो ध्यान उसका हर घडी

बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी
साजन द्वार चली
बड़ी नाजों से पली लाडो को रहे ना कोई कमी।

ससुराल की गलियों में रम जाए
सुख के घर संसार में डूबकर
निकले ना कभी आंखों से पानी

बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी
साजन द्वार चली
बड़ी नाजों से पली लाडो को रह ना कोई कमी।

सास ससुर प्यार करे इतना
जितना प्यार करते थे सीता संग दशरथ और कौशल्या
भोजन में मिले हर दिन मावा और मिश्री

बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी
साजन द्वार चली
बड़ी नाजों से पली लाडो को
रह ना कोई कमी।

साजन संग चले दुलारी तो लगे जहां को
चल रही हो सीता राम की जोड़ी

बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी
साजन द्वार चली
बड़ी नाजों से पली लाडो को रह ना कोई कमी।

- नरेन्द्र सिंह राठौड़ 

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