Jivan-जीवन - Life
जीवन में कभी फूल है तो कभी कांटे
उतरे पार वो राही जो चले सदा आपस में बांटे
आते है जीवन में उतार चढ़ाव
जैसे सागर में आता है कभी भाटा कभी ज्वार
होता है पार जहाज वो ही
जो खोए ना धीरज आपदा से घबरा कर कभी नहीं
बोता है बाग गुलाब का माली
कांटो संग लिए फूल झूलती है हर इक डाली
तोड़ कर फ़ूल बनाने को माला
लहू लुहान हो जाती है अंगुलिया उसकी प्यारी
देता नहीं माली कभी पौधे को गाली
जानता है वो
ये कोई नहीं है साधारण पौधा
करना नहीं पड़ता मुझे
इसके कारण
कभी आत्मसम्मान का सौदा
रखी लाज कुब्जा की
तारणहार बने मेरे गोविंदा
की धारण जब पुष्प माला
हुआ तन सीधा जब कुब्जा का
पुकार उठी!
निहाल हुई आज मथुरा
सांवरिया सरकार ने
पावन चरण धरा
होने लगा चहुं दिशा में जय कारा
आ गया तारण हारा
हरे कृष्णा! हरे कृष्णा!
- नरेन्द्र सिंह राठौड़
Comments