Main hi prakash -मैं ही प्रकाश-I am the light
मैं ही प्रकाश
मैं ही आत्मा
मैं ही बीज ऊर्जा
मैं ही अनंत में एक
कहते हैं मुझे परमात्मा |
आज चले अपने भीतर
समय बनेगा तेरा मित्र
शांत स्वरूप का दिखेगा चित्र
ज्योतिर्लिंग का होगा दर्शन।
कीचड़ में खिलता है कमल
रहता है फिर भी निर्मल
मनुज होकर मानव धर्म में डाल रहा है क्यों विघ्न ?
मानवता के लिए कर सर्वत्र निशस्त्रीकरण।
जब शांत होंगे मनोवेग
कोशिकाओं का सृजन होगा तेज
चिंता करेगी प्रणाम शांत चित को घुटने टेक
जीतेगा भय से मनुज हरेक
प्रकृति के संग करो योग
नहीं होगी चिंता , नहीं होगा क्रोध
नहीं करेगा मनुज , मनुज संग विरोध
खुल जायेगा मानव धर्म के हेतु का स्रोत |
जीत होगी तेरे हाथों में
बैठा पाएगा मानव धर्म के रक्षकों में
लिखा जाएगा इतिहास में तेरा नाम स्वर्ण अक्षरों में
कर पायेगा परम शांति का अनुभव प्रकृति के नजारों में |
कोई नहीं ऐसा विज्ञान
जो निर्जीव में डाल दे जान
:- नरेंद्र सिंह राठौड़ (भारत )
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