Ohm Hari Har–ॐ हरि हर
:–: ॐ हरि हर:–:
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किस किस की सुरक्षा
नहीं करता हरि हर सोचे जरा संसार
बिल्व पत्र में पतझड़ होता
रह जाते उस पर पके हुए फल
और कांटे अपार
फिर भी फल को चोट नहीं पहुंचती
गिरता है जब रसावदन करता संसार
देख उस फल का ऊपरी खोल
पत्ता लग जाएगा
कितना है तेरे जीवन में
हरि हर का मोल।
:– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)
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