Raajdharma–राज धर्म

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"हे , राजन! जो उदार चरित्रवान है वो राज्य के किसी क्षेत्र में क्यों ना रहते  हो , उनकी रक्षा करना आपका राज धर्म है और उससे मुंह फेरना आपके लिए अधर्म है अतः साम,दाम , दंड और भेद से उदार चरित्रवान की रक्षा करना आपका राज धर्म  है ।"

     मौलिक रचयिता:– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत) 

 

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