Dekho! Kaun Ja Raha Hai?–देखो! कौन जा रहा है?

देखो! कौन जा रहा है?

चांदनी रात  में तीव्र प्रकाश जा रहा है

खिड़कियों को बंद करके सोने वाले 

बाहर देख कर झांक जरा

सत्य जा रहा है

ले ले तू भी उसकी आंच जरा 

तप जा रहा है

जो संसार के झंझावतों में ना उलझे

निडर जा रहा है

जो पीड़ा को भी पछाड़ दे

सहनशील जा रहा है

जो अपना समस्त लूटा दे

दानवीर जा रहा है 

जो शरणागत की रक्षा करे

योद्धा जा रहा है

जो जिज्ञासा को शांत कर दे

गुरु जा रहा है

जो हर घड़ी साथ दे 

साथी जा रहा है

जो मन को जीत ले

मंजीत जा रहा है

जो चिंताओं से मुक्त कर दे

चिंतक जा रहा है

जो सदाचार से भर दे

चरित्र जा  रहा है

आओ! मिल कर स्वागत करे !

भारत जा रहा है।

 मौलिक रचयिता:– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

Comments

Popular posts from this blog

Mauj - मौज

Jaan se pyari jaan hamari hai–जान से प्यारी जान हमारी है

Mera Ghar Hai Sara Jahan मेरा घर है सारा जहां