Jeevan Sutra–जीवन सूत्र

शक्कर जैसा हो जिसका शरीर
मन हो उसका अविरल नीर।
दोनों हो जब  एक दूजे में विलीन 
कहते हैं उसे धीर, वीर और गंभीर।।

मौलिक रचयिता : –नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

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