Mahadev Hai Jo Mere Sartaj–महादेव है जो मेरे सरताज

महादेव है जो मेरे सरताज

आज कल और आज

मन पंछी बन भर रहा परवाज

ॐ की ध्वनि से गुंजित हर साज

ब्रह्मांड के कण कण में 

देख आलोकित नटराज

भक्ति सागर में कमल पुष्प 

लिए नर्तन कर रहे गजराज

जंगल के प्राणी को जगा रहे

सिंह नाद कर करके वनराज

भक्ति रस में तल्लीन हुई

गले मिलकर वृक्ष और लताएं आज

चित की चिंता को लगी चिता 

चेतना बन कर जड़ भी कर रहा नाच

भीतर का बर्तन माँझ माँझ 

छप्पन भोग के थाल सजाकर

हर घर हर घड़ी हरि के हर को

हर हर महादेव पुकार पुकार कर

बुला रहा नर ही नारायण बन कर आज

आनन्द भोग पा रहे 

महादेव है जो मेरे सरताज 

आज कल और आज।


मौलिक रचयिता:– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

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