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Showing posts from February, 2020

Wo bharat desh hai mera-वो भारत देश है मेरा - My great India

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वो भारत देश है मेरा  जो रखे कदम इस धरा  कभी महसूस ना करे अकेला रहता है द्वार जिसका अतिथि के स्वागत को सदा खुला नज़र आता है सदा जहां आत्मा में परमात्मा वो भारत देश है मेरा।  मिटा दे दूरियों को    बाहें पसारा दे जो पैगाम इंसानियत का रहता है सदा उसके साथ खड़ा  वो भारत देश है मेरा। मिटाने आतंकवाद को बजाए जो बिगुल तगड़ा ताकि ना रहे इंसान का इन्सान के साथ झगड़ा  सलामत रहे भाईचारा पैग़ाम है हमारा वो भारत देश है मेरा। जो करता नहीं कभी प्यार के पैगाम से किनारा पंछी आ के साइबेरिया से डाले  जहां अपना डेरा वो भारत देश है मेरा। - नरेन्द्र सिंह राठौड़

Pyar karte hai sanam tum se itna-प्यार करते है सनम तुमसे इतना

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प्यार करते है सनम तुमसे इतना    चांद से चकोर करे जितना। देखता हूं जब आइना तेरे सिवा कुछ नज़र आए ना। उठते बैठते खाते पीते तू ही तू नजर आए हलक में कुछ  उतर ना पाएं। मैं बंदा था सीधा सादा तेरे प्यार में हो गया आधा। मेरे डैड करते है मुझ पे हाका कहते है छौरे पे प्यार ने मार लिया डाका आ के सनम ! घर संभाल मेरा नहीं तो हरिद्वार में लगा लूंगा डेरा। प्यार करते है सनम तुमसे इतना चांद से चकोर करे जितना। कभी खुशी कभी गम एक दूजे का साथ निभाएंगे हम। इंतजार में तेरा सनम आकर हर ले सारे मेरे तम। - नरेन्द्र सिंह राठौड़

Jivan me bhara hai har rang-जीवन में भरा है हर रंग-The colour of life

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जीवन में भरा है हर रंग बसी है उसमे उमंग बेताब है हर कोई खेलने को होली इक दूजे के संग।  आओ मिटा दें दूरियां दिलों की झूमे खुशी में इतना बजा कर चंग और मृदंग लगा कर गालों पे गुलाल मिटा दे जो मन की मलाल कर दे जो एक सबको आए जब होली का त्यौहार। होली में लगते है रंग हजार दूर हो जाए अंधकार करें जो चहुं दिशाओं में प्रकाश का प्रसार। होली में नहीं होगा भंग लगाएंगे जब प्राकृतिक रंग आयेगा हर कोई करीब भीगने को तुम्हारे संग। डोल रहा हर्षित तन और मन बन रहे मीठे मीठे व्यंजन खेल रहे बच्चे ले के रंगभरी गन लगी जब उनको होली खेलने की लगन। है ये होली का त्यौहार करता है जो खुशियों की बौछार बन गया स्वर्ग सारा जहां बढ़ा जब हर कहीं भाईचारा बस भाईचारा।  - नरेन्द्र सिंह राठौड़

Pyar hai mera humsafar-प्यार है मेरा हमसफ़र - Defination of love

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प्यार नहीं है आकर्षण   है ये पूर्ण समर्पण करता है जो प्यार मन में नहीं रखता भार। प्यार में रहता है जो सदा जगा वहां नहीं होता बीच में पंगा होती नहीं कभी तंगी विश्वास में बंधे होते है संगी। प्यार नहीं है कोई खेल है ये सात वचनों का मैल जो इनको निभाने में नहीं करता देर रब करता है उन पर मैर। प्यार में होती है कभी तू तू मैं मैं हो जाती है उनकी समस्या शीघ्र हल जो चाय की चुस्की पर करते है एक दूसरे के संग गल। प्यार आस्था है प्यार है पूजा इस से बड़ा कोई रहनुमा नहीं दूजा जो ना रखे प्यार  में भरम उनके दरमिया माहौल रहता नरम। - नरेन्द्र सिंह राठौड़

Chal bhar udan -चल भर उड़ान - flying of hope

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चल भर उड़ान छोड़ के जा अपने कदमों के निशान   तुझे आगे बढ़ना होगा तू है आखिर एक इंसान मेहनत कर इतनी पूरे हो जाए अरमान जहां करे तेरा सम्मान चल भर उड़ान हौसलों को पूरा करने मिल्खा सिंह ने भरी गजब की उड़ान कहलाया उड़न सिख दी हिंदुस्तान को पहचान फिर तू क्यों पीछे रहे तू भी है रब की संतान चल भर उड़ान। दिया जब दान कर्ण ने गाया तब कृष्णा ने उसका गुणगान एकलव्य था अकेला सीखा बिन गुरु चलाना धनुष बाण चल भर उड़ान खड़ी हो गईं बाधाएं कलाम के सामने सीना तान फौलाद के बने थे वो हराने का लिया उन्होंने जब ठान दी ताकत हिंदुस्तान को बढ़ाया देश का संसार में मान तू भी कर पूरा अपनी अधूरी ख्वाहिशों को  लगा के पंख चल भर उड़ान । नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत )

Babul ka dwar -बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी साजन द्वार चली

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बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी  साजन द्वार चली बड़ी नाजों से पली लाडो को रह ना कोई कमी।  ससुराल में मिले प्यार इतना पीहर की याद कभी खले ना रखें वो ध्यान उसका हर घडी बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी साजन द्वार चली बड़ी नाजों से पली लाडो को रहे ना कोई कमी। ससुराल की गलियों में रम जाए सुख के घर संसार में डूबकर निकले ना कभी आंखों से पानी बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी साजन द्वार चली बड़ी नाजों से पली लाडो को रह ना कोई कमी। सास ससुर प्यार करे इतना जितना प्यार करते थे सीता संग दशरथ और कौशल्या भोजन में मिले हर दिन मावा और मिश्री बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी साजन द्वार चली बड़ी नाजों से पली लाडो को रह ना कोई कमी। साजन संग चले दुलारी तो लगे जहां को चल रही हो सीता राम की जोड़ी बाबुल का द्वार छोड़ मेरी प्यारी बिटिया रानी साजन द्वार चली बड़ी नाजों से पली लाडो को रह ना कोई कमी। - नरेन्द्र सिंह राठौड़ 

Ayodhya ke lal nij dham padhare -अयोध्या के लाल निज धाम पधारे - A Hindi Poem on Lord Ram

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अयोध्या के लाल निज धाम पधारे   जाओ सखी री दीपक जलाकर लाओ जगमग जगमग हो रहे है खुशी के आलम में चांद सितारे आओ हम सब मिलकर अयोध्या के लाल की नजर उतारे  बाग में जाओ लेकर सुंदर सुंदर फूल की माला बनाकर पहनाएं सरयू है प्रसन्न बह बह कर इठलाएं देखकर पंछी उड़े चहके चहके साधु संत नाच नाच कर अयोध्या को चौपाई सुनाएं आज अयोध्या के लाल के लिए हर कोई आतुर है वो भी रागिनी सुनाएं नाच नाच के मोर अपने पंख फैलाए देखकर वानर सेना झूला झूले लगा के चंदन अयोध्या के लाल को हर कोई फूला ना समाएं आज खुशी के मारे घंटे घड़ियाल बज रहे पता नहीं कब दिन उगे कब रात ढले अयोध्या के लाल  निज धाम पधारे हो रहे है चहुं दिशाओं में वारे न्यारे बिना पलक झपकाएं गूंज रहा है  ब्रह्माण्ड जय श्री राम ! जय श्री राम ! पुकारे। - नरेन्द्र सिंह राठौड़

mata- pita kya hai /माता - पिता क्या है ?

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माता - पिता क्या है?  ईश्वर का वरदान नि:स्वार्थ आंचल  धर्म ,कर्म और मर्म की हिफाज़त के लिए उठी पुकार  दर्द को भगा दे वो पुचकार हृदय से लगाने वाले प्रफुल्लित पुष्प जीना सिखा दे वो गुरु  अपरिमित प्यार का सागर जिनकी दुआओं से हुआ तू बड़ा खाली कर दिया जिन्होंने  तेरा भविष्य  बनाने में  अपनी पसीने की कमाई का घड़ा करना मत उनसे कभी झगड़ा कभी अंगुली थामे बने थे  तेरे क़दमों को आगे बढ़ाने का सहारा जब हो जाए वो बूढ़े  दिखने लगे उनके हाथ पैर कांपे तुझे आगे आना होगा  हर जीवन की डगर पर उनका हाथ थामे माता-पिता क्या है? एक पालन  हार जिन्होंने लूटा दिया तुम पे अपना सारा संसार अब तू कुछ कर दे  उनके लिए तो नहीं होगा उपकार होगा तो केवल तेरा उनके प्रति सत्कार। - नरेन्द्र सिंह राठौड़