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Baharon fool barsao बहारों फूल बरसाओ

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बहारों फूल बरसाओ सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाएंगे शमा को मतवाला भर के काजल भाभी  देवर की आंखो मे  देवरानी संग रिश्ता जोड़ेगी बड़ा प्यारा । बहारों फूल बरसाओ सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाएंगे शमा को मतवाला लेने को आशीष  दुल्हा  रब की दर चला टेक टेक शीश पाने आशीर्वाद खरा खरा। बहारों फूल बरसाओ सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाएंगे शमा को मतवाला  पहुंचा है  साजन सजनी की दहलीज पर  हुआ है आगमन  तलवार से तोरण को छूकर। बहारों फूल बरसाओ सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाएंगे शमा को मतवाला  दिया पिता ने  बिटिया  रानी का हाथ वर के साथ  लिए है  सात फेरे  कर गठबंधन जोडी बनी  जैसे हो सीता राम। बहारों फूल बरसाओ  सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाएंगे शमा को मतवाला उलझा कर दूल्हे को चुराए जूते सालियों ने  होगी विदा डोली मांग होगी पूरी तो तालियों में। बहारों फूल बरसाओ सजनी को साजन लेने चला  नाच  नाच बाराती बनाए...

Sirf tum सिर्फ़ तुम

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दिलबर मेरे ! नजर हटती नहीं दुनियां अखरती नहीं जब तक सामने खड़े हो , सिर्फ तुम दिलबर मेरे ! नजर हटती नहीं दुनियां अखरती नहीं जब तक सामने खड़े हो , सिर्फ तुम। भुलाएं भूलूं ना तेरे संग बिताएं हसीन पल बसा के रखा है जिसमे मेरा तेरा कल आज और कल बजती रहती है स्वप्नों में तेरे पायल की छन छन लगता नहीं तेरे बिना इक पल मेरा मन दिलबर मेरे ! नजर हटती नहीं दुनियां अखरती नहीं जब तक सामने खड़े हो , सिर्फ तुम। फेंकता नही सच कहता हूं हां मैं हूं तेरा चकोर समझ कर तुझे स्वाति नक्षत्र की बूंद करने मिलन देखूं तेरी ओर दिलबर मेरे ! नजर हटती नहीं दुनियां अखरती नहीं जब तक सामने खड़े हो , सिर्फ तुम। तू है  वफा की मूरत जिसके सामने फीकी है अप्सरा की सूरत केवल तुझे दिल में बसा रखा बना कर हीर बन के रांझा  दिलबर मेरे ! नजर हटती नहीं दुनियां अखरती नहीं जब तक सामने खड़े हो , सिर्फ तुम। रब से कर हूं मैं फरियाद दुनियां होगी अपनी भी फिर आबाद कोरोना खाएगा इस बार तेरे मेरे साहस से मात बढ़ना होगा आगे की ओर साथ साथ दिलबर मेरे ! नजर हटती नहीं दुनियां अखरती नहीं जब तक सामने खड़े हो , सिर्फ तुम। दिलबर मेरे ! नजर हटती नह...

Mere yara- मेरे यारा ! - self confidence

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मेरे यारा ! किस बात का कर रहा है तू गम   जब मनमीत बनकर तेरे साथ हैं खड़े जगन्नाथ विश्वंभरम। रखना होगा तुम्हें चींटी सा कलेजा    जो लिए दाना पार कर लेती है  , रास्ता भले ही क्यों ना हो पहाड़ सा  । ध्रुव ने लिया जब भक्ति का अटल प्रण गोद में बैठाने को आतुर हुए नारायण   बाधाओं के आगे जो ना झुके  वो आकाश में ध्रुव तारा बन कर चमके। फेंका जब नीरज ने टोक्यो में भाला   रख मन में पूर्ण विश्वास की उड़न सिख की एथलेटिक में  स्वर्ण पदक की आस। बना तू भी अपने मन को मीत होगी तेरे हाथों में भी जीत चुनौतियों को करेगा जब हंस कर स्वीकार पहनाएगी दुनियां तुम्हे भी फूलों का हार। तन के जख्म हो या मन के गम लगेंगे कम दिल में रहेंगे महाराणा सांगा हर क्षण हर दम मेरे यारा! किस बात का कर रहा है तू गम जब मनमीत बनकर तेरे साथ हैं खड़े जगन्नाथ विश्ववंभरम।। :- नरेन्द्र सिंह राठौड़

Bachpan ka pyar - बचपन का प्यार - Great love of childhood

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बचपन का प्यार   मां के आंचल में छुपकर    पिताजी की डांट से बचना सर्द रातों में अलाव में अंगुलियों को  तपाना  सिगड़ी के अंगारों पे मां के हाथ के सीके हुए  भुट्टे को फूंक मार मार कर खाना गांव के गलियारों में मिट्टी की ढेरियों में चिर्मियों को ढूंढना हवा के झोंको संग दौड़ दौड़ कर चकरी उड़ाना बारिश के मौसम में भीगना नम मिट्टी में पैर डाल कर घर बनाना कैर के फूलों को हाथ में लेकर मधुर रस चूसना पिताजी की अंगुली थामे मेले में जाना जाकर गरम गरम जलेबियां खाना पंछियों को दाना  डालना मेहमानों संग गुफ्तगू करना अभी याद है। :- नरेन्द्र सिंह राठौड़

Dhadak- धड़क- Heart beating of soldier

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धड़क धड़क  धड़क   धड़क रही है धड़कन  चाहे जमाना डाले  लाख अड़चन निभानी है तुझे मेरे फौजी! कोख की लाज निभाने है प्रियतमा को दिए  सातों वचन  मुश्किल में है आज तेरा वतन। आस्तीन के सांप लगा रहे हैं अमन में अग्न घुल रहा है हवा में जहर धुंधला धुंधला सा हो गया है हर घर का दर्पण। बीड़ा उठाना होगा तुझे मेरे फौजी! चाहे करना पड़े तन मन समर्पण फीके ना हो हर घर में व्यंजन करना होगा तुझे जिंदगानी के अनमोल क्षणों का अर्पण। लगा ना पाएं दुश्मन कोई वतन की खुशियों में ग्रहण करना होगा अपने साहस से हर बाधा का हरण चाहे  देखना पड़े मरण। धड़क धड़क धड़क धड़क रही है धड़कन निभानी है तुझे मेरे फौजी! कोख की लाज निभाने है प्रियतमा को दिए सातों वचन मुश्किल में है आज तेरा वतन।   :- नरेन्द्र सिंह राठौड़

Jaihind! जयहिंद ! - Jaihind

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 :- जयहिंद!   तिरंगे का सम्मान है जयहिंद   भारत की पहचान है जयहिंद    विकास की उड़ान है जयहिंद  दिल की धड़कन है जयहिंद  सैनिक का पराक्रम है जयहिंद  आशा की किरण है जयहिंद  बहादुर का तिलक है जयहिंद  वीरांगना की गर्जना है जयहिंद   संजीवनी बूंटी है जयहिंद  श्वांसो की डोर है जयहिंद  वीरता का पैगाम है जयहिंद  धरा का स्वर्ग है जयहिंद कलम की पुकार है जयहिंद  भारत का संस्कार है जयहिंद  मानवता का सूत्रधार है जयहिंद  अमरता की सीढ़ी है जयहिंद  नौनिहालों की जन्म घुटी है जयहिंद आत्मा का उदघोष है जयहिंद  सत्य की जीत है जयहिंद  शेरों की दहाड़ है जयहिंद  अभिनन्दन है जयहिंद  अभिवादन है जयहिंद  विविधता में एकता है जयहिंद जयहिंद! जयहिंद! जयहिंद! :- नरेन्द्र सिंह राठौड़

Jivan-जीवन - Life

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 जीवन में कभी फूल है तो कभी कांटे   उतरे पार वो राही जो चले सदा आपस में बांटे आते है जीवन में उतार चढ़ाव   जैसे सागर में आता है  कभी भाटा  कभी ज्वार होता है पार जहाज वो ही जो खोए ना धीरज आपदा से घबरा कर  कभी नहीं बोता है बाग गुलाब का माली कांटो संग लिए फूल झूलती है हर  इक डाली तोड़ कर फ़ूल बनाने  को माला  लहू लुहान हो जाती है अंगुलिया  उसकी प्यारी देता नहीं माली कभी पौधे को गाली जानता है वो  ये कोई नहीं है साधारण पौधा करना नहीं पड़ता मुझे  इसके कारण कभी आत्मसम्मान का सौदा रखी लाज कुब्जा की तारणहार बने मेरे गोविंदा की धारण जब पुष्प माला हुआ तन सीधा जब कुब्जा का पुकार उठी! निहाल हुई आज मथुरा सांवरिया सरकार ने  पावन चरण धरा होने लगा चहुं दिशा में जय कारा आ गया तारण हारा हरे कृष्णा! हरे कृष्णा!    - नरेन्द्र सिंह राठौड़