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Ban ja pyare tu Prabhu Ram ka banda– बन जा प्यारे तू प्रभु राम का बंदा

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बन जा प्यारे तू प्रभु राम का बंदा है नहीं वो तुम से जुदा  होती है जब तेरे दिल में करूणा कहते है मैं हूं ना। जब करता है तू अपना आंकलन कम आत्मा में बसे राम महसूस करते है गम मच रही है जहां में हथियारों की होड़ जो तैयार है ख़त्म करने सृष्टि को राम से मुंह मरोड़ बन जा प्यारे तू प्रभु राम का बंदा है नहीं वो तुम से जुदा होती है जब तेरे दिल में करूणा कहते हैं मैं हूं ना। गूजते है जब  मन मंदिर में राम मंत्र आत्मा में बैठे राम का प्रफुल्लित हो उठता है तन मन कर उनका सवेरे सवेरे भजन  मिट जाएंगे तेरे सारे व्यसन  बन जा प्यारे तू प्रभु राम का बंदा है नहीं वो तुम से जुदा होती है जब तेरे दिल में करूणा कहते है मैं हूं ना।   :- नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

Uth mere bande–उठ मेरे बंदे – Get up my son

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उठ मेरे बन्दे! हो जाएगी तेरी बल्ले बल्ले  हरि नाम लेकर जब तू बाहर निकले  दूर हो जाएंगे  मन के सारे अँधेरे    दर्शन होगा मेरा सवेरे - सवेरे  उठ मेरे बन्दे! नील गगन के तले लगा हरि नाम के डेरे मत समझ दुनिया में आया  तू अकेले  साथ में पाएगा हरि को सदा अपने साथ खडे  हल करूंगा मन के प्रश्न पूरे। उठ मेरे बन्दे! शुरू कर कर्म बिना फल की चिन्ता करे  होगा कार्य पूर्ण बिना अटके जब तू विश्वास करेगा हरि पे डट के दौड़ेंगे हरि गले लगाने सुदामा समझ के। उठ मेरे बन्दे! हरि को अपना सर्वस्व अर्पण कर दे राजा बलि की तरह आस्था अटल रख के तेरे द्वार की रक्षा करेंगे स्वयं हरि द्वारपाल बन के विश्वास कर मुझ पर प्रह्लाद जैसा बन के। :– नरेंद्र सिंह राठौड़ (भारत)

Main hi prakash -मैं ही प्रकाश-I am the light

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मैं  ही प्रकाश  मैं ही आत्मा  मैं ही बीज ऊर्जा   मैं ही अनंत में एक कहते हैं मुझे परमात्मा |  आज  चले  अपने भीतर  समय  बनेगा तेरा मित्र  शांत स्वरूप  का दिखेगा चित्र  ज्योतिर्लिंग  का  होगा  दर्शन। कीचड़ में खिलता है कमल  रहता है फिर भी निर्मल  मनुज होकर मानव धर्म में डाल रहा है क्यों विघ्न ? मानवता के लिए कर सर्वत्र निशस्त्रीकरण। जब शांत होंगे मनोवेग  कोशिकाओं का सृजन होगा तेज  चिंता करेगी प्रणाम शांत चित को घुटने टेक जीतेगा भय से मनुज  हरेक  प्रकृति  के  संग करो योग  नहीं होगी चिंता , नहीं  होगा क्रोध  नहीं करेगा  मनुज , मनुज  संग विरोध  खुल जायेगा मानव धर्म के हेतु का स्रोत |  जीत  होगी तेरे हाथों में  बैठा पाएगा मानव धर्म के रक्षकों में  लिखा जाएगा इतिहास में  तेरा नाम स्वर्ण अक्षरों में  कर पायेगा परम शांति का अनुभव प्रकृति के नजारों में |  कोई नहीं ऐसा  विज्ञान  जो निर्जीव में...

Insan hai wo jo satya se preet kare -इन्सान है वो जो सत्य से प्रीत करे - man is he who loves the truth

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इन्सान है वो जो सत्य से प्रीत करे   होगा नहीं  तुझ से फिर कोई परे  ईश्वर  आएंगे भीतर तेरे  बिताएगा अपना जीवन बिना डरे |  जिसे किसी में कमी नहीं  दीखे  वो  करता है कर्म  बिना हारे या जीते  उसके जीवन का हर पल योग में बीते  करनी नहीं पड़ती आंखे कभी शर्म से नीचे |  संघर्ष से  जो सीखे  वो  गगन  में बाज की तरह उड़े  जो अपने लक्ष्य को हासिल करे बिना भटके  देता है पैगाम यही जो हर हाल में डटके |  मन  कुरुक्षेत्र जब जब बने  धरा पर रखा गांडिव उठाना होगा अर्जुन बन के  पायेगा कृष्ण को सदा भीतर सारथी बन के  होगा ख़त्म मन का द्वन्द उत्तरदायी बनोगे मोक्ष के |  :- नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

Ishwar kahte hai -ईश्वर कहते हैं -The God says

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ईश्वर कहते हैं इन्सान है मेरी सबसे सुन्दर सृष्टि विस्तारवाद  करवा रहा हथियारों की वृष्टि अज्ञानता ने ढक लीं है उसकी दूर दृष्टी  मिटाने को हो रहा है अपनी ही हस्ती। ईश्वर कहते हैं शुद्ध जल शुद्ध वायु शुद्ध खाद्य था मेरी देन भौतिकवाद ने छीन लिया प्राणी जगत का सुख चैन  कहता है अपने आपको जेंटलमैन जलवायु परिवर्तन हेतु ज़िम्मेदार है बिजनेसमैन। ईश्वर कहते हैं  आदमी को आदमी से है डर उजाड़ रहे है निर्दोष प्राणियों का घर  आता है संकट दोष देता है कुदरत पर जिसको गढ़ा मैंने शांति का पैगाम देने हर क्षण। ईश्वर कहते हैं  मत तान मनुज मेरे! तू इक दूजे पे गन  निशस्त्रीकरण पर दे अपना बल  हर्षित होगा सर्व जन का मन  पायेगा दर्शन मेरा हर कण– कण। ईश्वर कहते हैं  श्रेष्ठ है वो विज्ञान  जो करे सबका कल्याण जिस विज्ञान से होता है केवल नुकसान  उसे कहते हैं प्रकृति विरोधी अनुसंधान।  :– नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत)

Jindgi ke din hai thode जिंदगी के दिन हैं थोड़े life's days are few

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 जिंदगी के दिन हैं  थोड़े  आओ !ईश्वर को सब  हाथ जोड़े  हथियारों  की  होड़  छोड़े  शांति को  पाने संग -संग  दौड़े  वार्ता के द्वार खोले  मित्रता की जय बोले  जिंदगी को  सबके लिए खोले  हीरों में  एक -दूजे को तोले  मार्ग से हटाएँ  शोले  फूलों के बरसाएँ गोले  खाली नहीं रहें कोने  कदम बढ़ाए एक दूजे  का होने  आराम के लिए  बिछाएँ  बिछौने  भोजन के लिए लगाएं  पातळ दोने  स्वागत के लिए द्वार खोले  निकले सब शांति का बीज बोने  निकलों  मत  शान्ति  को खोने  आओ ! मतभेद की  दीवारें तोड़े  प्रेम की खेती करे होले -होले  ईश्वर लगाएंगे गले दौड़े -दौड़े  :- नरेन्द्र सिंह  राठौड़ (भारत )

mere ishwar kar rahe hain aaj elan ! मेरे ईश्वर कर रहे हैं आज ऐलान !My God is announcing today!

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मेरे ईश्वर कर रहे हैं आज ऐलान ! ओ , दुनिया के वैज्ञानिक ! निकालो तुम आज बाल की खाल  हो जाएगा बाल की खोज में ब्रह्मांड का ज्ञान । मरता शरीर है  पर मरता नहीं कभी बाल  सुन पुकार पांचाली के खुले केश से निकले केशव ने बढ़ा दिया चीर का अनंत थान। खुले थे भीष्म के सामने शिखंडी के बाल  इच्छा मृत्यु के वरदान के सामने बने वो ढाल  दिया अर्जुन को जीवन दान  बाल बने बाण सैय्या देने भीष्म पितामह को सम्मान। धनानंद ने  किया जब चाणक्य का अपमान  गांठ बांध शिखा बालों की  ली शपथ बना दूंगा नन्द साम्राज्य को श्मशान  अखंड साम्राज्य की नींव रखने  हेतु करूंगा युद्ध घमासान। बाल से सृष्टि होती है  बाल होते हैं संहार  दक्ष ने जब सती का अपमान किया  बाल से पैदा किया शिव ने दक्ष के नाश के लिए वीरभद्र जैसा वीर्यवान। मेरे ईश्वर कर रहे हैं आज ऐलान ! ओ , दुनिया के वैज्ञानिक ! निकालो तुम आज बाल की खाल  हो जाएगा बाल की खोज में ब्रह्मांड का ज्ञान । :- नरेन्द्र सिंह राठौड़ (भारत )